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Tuesday, June 18, 2013

भगवान शिव जी को १०८ नामहरु




01-शिव अर्थात जो कल्याण स्वरूप

02-महेश्वर अर्थात जो माया के अधीश्वर

03-शम्भू अर्थात जो आनंद स्वरूप वाले

04-पिनाकी अर्थात जो पिनाक धनुष धारण करने वाले

05-शशिशेखर अर्थात जो सिर पर चंद्रमा धारण करने वाले

06-वामदेव अर्थात जो अत्यंत सुंदर स्वरूप वाले

07-विरूपाक्ष अर्थात जो भौंडी आँख वाले

08-कपर्दी अर्थात जो जटाजूट धारण करने वाले

09-नीललोहित अर्थात जो नीले और लाल रंग वाले

10-शंकर अर्थात जो सबका कल्याण करने वाले

11-शूलपाणी अर्थात जो हाथ में त्रिशूल धारण करने वाले

12-खटवांगी अर्थात जो खटिया का एक पाया रखने वाले

13-विष्णुवल्लभ अर्थात जो भगवान विष्णु के अतिप्रेमी

14-शिपिविष्ट अर्थात जो सितुहा में प्रवेश करने वाले

15-अंबिकानाथ अर्थात जो भगवति के पति

16-श्रीकण्ठ अर्थात जो सुंदर कण्ठ वाले

17-भक्तवत्सल अर्थात जो भक्तों को अत्यंत स्नेह करने वाले

18-भव अर्थात जो संसार के रूप में प्रकट होने वाले

19-शर्व अर्थात जो कष्टों को नष्ट करने वाले

20-त्रिलोकेश अर्थात जो तीनों लोकों के स्वामी

21-शितिकण्ठ अर्थात जो सफेद कण्ठ वाले

22-शिवाप्रिय अर्थात जो पार्वती के प्रिय

23-उग्र अर्थात जो अत्यंत उग्र रूप वाले

24-कपाली अर्थात जो कपाल धारण करने वाले

25-कामारी अर्थात जो कामदेव के शत्रुअंधकार

26-सुरसूदन अर्थात जो अंधक दैत्य को मारने वाले

27-गंगाधर अर्थात जो गंगा जी को धारण करने वाले

28-ललाटाक्ष अर्थात जो ललाट में आँख वाले

29-कालकाल अर्थात जो काल के भी काल

30-कृपानिधि अर्थात जो करूणा की खान

31-भीम अर्थात जो भयंकर रूप वाले

32-परशुहस्त अर्थात जो हाथ में फरसा धारण करने वाले

33-मृगपाणी अर्थात जो हाथ में हिरण धारण करने वाले

34-जटाधर अर्थात जो जटा रखने वाले

35-कैलाशवासी अर्थात जो कैलाश के निवासी

36-कवची अर्थात जो कवच धारण करने वाले

37-कठोर अर्थात जो अत्यन्त मजबूत देह वाले

38-त्रिपुरांतक अर्थात जो त्रिपुरासुर को मारने वाले

39-वृषांक अर्थात जो बैल के चिह्न वाली झंडा वाले

40-वृषभारूढ़ अर्थात जो बैल की सवारी वाले

41-भस्मोद्धूलितविग्रह अर्थात जो सारे शरीर में भस्म लगाने वाले

42-सामप्रिय अर्थात जो सामगान से प्रेम करने वाले

43-स्वरमयी अर्थात जो सातों स्वरों में निवास करने वाले

44-त्रयीमूर्ति अर्थात जो वेदरूपी विग्रह करने वाले

45-अनीश्वर अर्थात जो जिसका और कोई मालिक नहीं है

46-सर्वज्ञ अर्थात जो सब कुछ जानने वाले

47-परमात्मा अर्थात जो सबका अपना आपा

48-सोमसूर्याग्निलोचन अर्थात जो चंद्र, सूर्य और अग्निरूपी आँख वाले

49-हवि अर्थात जो आहूति रूपी द्रव्य वाले

50-यज्ञमय अर्थात जो यज्ञस्वरूप वाले

51-सोम अर्थात जो उमा के सहित रूप वाले

52-पंचवक्त्र अर्थात जो पांच मुख वाले

53-सदाशिव अर्थात जो नित्य कल्याण रूप वाल

54-विश्वेश्वर अर्थात जो सारे विश्व के ईश्वर

55-वीरभद्र अर्थात जो बहादुर होते हुए भी शांत रूप वाले

56-गणनाथ अर्थात जो गणों के स्वामी

57-प्रजापति अर्थात जो प्रजाओं का पालन करने वाले

58-हिरण्यरेता अर्थात जो स्वर्ण तेज वाले

59-दुर्धुर्ष अर्थात जो किसी से नहीं दबने वाले

60-गिरीश अर्थात जो पहाड़ों के मालिक

61-गिरिश अर्थात जो कैलाश पर्वत पर सोने वाले

62-अनघ अर्थात जो पापरहित

63-भुजंगभूषण अर्थात जो साँप के आभूषण वाले

64-भर्ग अर्थात जो पापों को भूंज देने वाले

65-गिरिधन्वा अर्थात जो मेरू पर्वत को धनुष ब��ाने वाले

66-गिरिप्रिय अर्थात जो पर्वत प्रेमी

67-कृत्तिवासा अर्थात जो गजचर्म पहनने वाले

68-पुराराति अर्थात जो पुरों का नाश करने वाले

69-भगवान् अर्थात जो सर्वसमर्थ षड्ऐश्वर्य संपन्न

70-प्रमथाधिप अर्थात जो प्रमथगणों के अधिपति

71-मृत्युंजय अर्थात जो मृत्यु को जीतने वाले

72-सूक्ष्मतनु अर्थात जो सूक्ष्म शरीर वाले

73-जगद्व्यापी अर्थात जो जगत् में व्याप्त होकर रहने वाले

74-जगद्गुरू अर्थात जो जगत् के गुरू

75-व्योमकेश अर्थात जो आकाश रूपी बाल वाले

76-महासेनजनक अर्थात जो कार्तिकेय के पिता

77-चारुविक्रम अर्थात जो सुन्दर पराक्रम वाले

78-रूद्र अर्थात जो भक्तों के दुख देखकर रोने वाले

79-भूतपति अर्थात जो भूतप्रेत या पंचभूतों के स्वामी

80-स्थाणु अर्थात जो स्पंदन रहित कूटस्थ रूप वाले

81-अहिर्बुध्न्य अर्थात जो कुण्डलिनी को धारण करने वाले

82-दिगम्बर अर्थात जो नग्न, आकाशरूपी वस्त्र वाले

83-अष्टमूर्ति अर्थात जो आठ रूप वाले

84-अनेकात्मा अर्थात जो अनेक रूप धारण करने वाले

85-सात्त्विक अर्थात जो सत्व गुण वाले

86-शुद्धविग्रह अर्थात जो शुद्धमूर्ति वाले

87-शाश्वत अर्थात जो नित्य रहने वाले

88-खण्डपरशु अर्थात जो टूटा हुआ फरसा धारण करने वाले

89-अज अर्थात जो जन्म रहित

90-पाशविमोचन अर्थात जो बंधन से छुड़ाने वाले

91-मृड अर्थात जो सुखस्वरूप वाले

92-पशुपति अर्थात जो पशुओं के मालिक

93-देव अर्थात जो स्वयं प्रकाश रूप

94-महादेव अर्थात जो देवों के भी देव

95-अव्यय अर्थात जो खर्च होने पर भी न घटने वाले

96-हरि अर्थात जो विष्णुस्वरूप

97-पूषदन्तभित् अर्थात जो पूषा के दांत उखाड़ने वाले

98-अव्यग्र अर्थात जो कभी भी व्यथित न होने वाले

99-दक्षाध्वरहर अर्थात जो दक्ष के यज्ञ को नष्ट करने वाल

100-हर अर्थात जो पापों व तापों को हरने वाले

101-भगनेत्रभिद् अर्थात जो भग देवता की आंख फोड़ने वाले

102-अव्यक्त अर्थात जो इंद्रियों के सामने प्रकट न होने वाले

103-सहस्राक्ष अर्थात जो अनंत आँख वाले

104-सहस्रपाद अर्थात जो अनंत पैर वाले

105-अपवर्गप्रद अर्थात जो कैवल्य मोक्ष देने वाले

106-अनंत अर्थात जो देशकालवस्तुरूपी परिछेद से रहित

107-तारक अर्थात जो सबको तारने वाला

108-परमेश्वर अर्थात जो सबसे परे ईश्वर

हर हर महादेव........

जय महाकाल.........

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